जेएनयू का कन्हैया मेरी नजर में है कंस कुमार - रामभद्राचार्य




उज्जैन. मंगलनाथ जोन में सांदीपनि आश्रम के सामने 60 फीट अस्थायी रोड बनाया गया है। यहां अनूठे संत आए हैं। वे जन्म से देख नहीं सकते लेकिन मन की आंखों से सिंहस्थ देख रहे हैं। देश की एकमात्र विकलांग विवि के आजीवन कुलाधिपति हैं। पद्म विभूषण से सम्मानित हैं।
श्रीमद् भागवत कथा, रामायण व महाभारत सहित कई ग्रंथ कंठस्थ हैं। ये हैं जगदगुरु स्वामी रामानंदाचार्य राघवीयो रामभद्राचार्यजी। वे युवाओं के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। जेएनयू में पिछले दिनों हुए घटनाक्रम को लेकर दु:खी भी हैं। उनका कहना है कन्हैया कुमार उनकी नजर में कंस कुमार है। उन्होंने कन्हैया को दिए जा रहे राजनीतिक प्रश्रय पर भी रोष जताया। हालांकि वे केंद्र सरकार को दोष नहीं देना चाहते।
कहते हैं दोष तो शिक्षा व्यवस्था में है। जब तक मैकाले की व्यवस्था से भारतीय शिक्षा मुक्त नहीं होगी, तब तक युवाओं को सही मार्ग दिखाना आसान नहीं होगा।

शिक्षा मंत्री को बताया पुत्रवधु :केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी को महाराज पुत्रवधु मानते हैं। उनका कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव किए जा रहे हैं। स्मृति अच्छा काम कर रही हैं लेकिन उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा है। ये संकल्प की शक्ति व राघव कृ़पा: जो काम दोनों नेत्र वाले नहीं कर सकते, वे कैसे सहज रूप से कर रहे हैं। इसके जवाब में महाराज कहते हैं ये संकल्प शक्ति व राघव कृपा है जो ग्रंथों को कंठस्थ करने के साथ शिक्षा का प्रचार कर रहा हूं।
विकलांगों का स्वाभिमान लौटाना लक्ष्य :चित्रकूट में देश की एकमात्र विकलांग विवि के कुलाधिपति रामभद्राचार्यजी का कहना है कि देश के हर विकलांग का स्वाभिमान लाैटाना ही लक्ष्य है। वे हर विकलांग को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। एक झलकके लिए घंटों इंतजार : पंडाल में आए श्रद्धालु उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते हैं। रोज दोपहर में हरि के गुणगान हो रहे हैं। सुबह से लेकर रात तक कैंप में विराजे ठाकुरजी की सेवा के बाद ही प्रसादी पाते हैं।


Source - Dainik Bhaskar

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