उज्जैन। सिंहस्थ के चौथे पर्व स्नान पर रविवार को लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। दो दिन में 25 लाख श्रद्धालु आए। शिप्रा के घाटों से लेकर शहर में जहां भी नजर गई, वहां श्रद्धालु ही नजर आ रहे थे। महाकाल के दर्शन के लिए ही लोगों को डेढ़ घंटे कतार में लगना पड़ा। रामघाट भी खचाखच था। आधे से ज्यादा मेला क्षेत्र और ज्यादातर सड़कें नो व्हीकल जोन करनी पड़ीं।

सोर्स - दैनिक भास्कर  




सोर्स - पत्रिका 

'एक रोटी बाबा' का मंत्र पिरामिड गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल



 स्वामी शिवोहम भारती जिन्हें कि 'एक रोटी बाबा' के नाम से जाना जाता है के कैंप में 2500 करोड़ 'ओम नम: शिवाय' के मंत्रों के संग्रह से बने एक विशाल पिरामिड को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल कर लिया गया है। मनीष विश्नोई 7 मई को गायत्री मंदिर के पास उनके कैंप में जाकर उन्हें मेडल और सर्टिफिकेट देंगे।

मंत्र के इस पिरामिड को 2500 बंडलों को एक दूसरे के ऊपर रखकर बनाया गया है और हर बंडल पर हाथ से लिखे 1 करोड़ मंत्र हैं। पिरामिड के आसपास भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के देवताओं को रखा गया है। आयोजकों का दावा है कि इस पिरामिड की परिक्रमा करने से इंसान में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। संत भारती इस सिंहस्थ शिविर में 5000 करोड़ मंत्रों का संग्रह करने का लक्ष्य है जिसे कि उनके साल 2027 तक 84000 करोड़ मंत्रों के संग्रह के लक्ष्य में जोड़ा जा सके।

Source - Patrika



अक्षय तृतीया का योग और सिंहस्थ का दूसरा शाही स्नान। ऐसे में उज्जैन का हर रास्ता शिप्रा की पावन धारा की तरफ ही जा रहा था। पैर रखने भर की जगह नहीं। जय महाकाल के उद्घोष के साथ सोमवार तड़के जूना अखाड़ा ने शिप्रा में पहली डुबकी लगाकर अमृत स्नान का शुभारंभ किया। इसके बाद साधुओं के 13 अखाड़ों और फिर देशभर से आए लाखों श्रद्धालुओं ने पावन शिप्रा में आस्था की डुबकी लगाई। स्नान का सिलसिला दोपहर बाद तक चलता रहा।

सिंहस्थ में कभी नहीं जुटी इतनी भीड़

रविवार रात से ही शिप्रा के तट पर लाखों लोगों की भीड़ पहुंच चुकी थी। दावा किया जा रहा है कि सोमवार को शाही स्नान में 

30 लाख से ज्यादा लोगाें ने अमृत स्नान किया। जानकार बताते हैं कि इससे पहले मध्यप्रदेश में हुए सिहंस्थ में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ कभी नहीं रही।

- 21 मई को तीसरा और आखिरी शाही स्नान
- 01 लाख से ज्यादा साधु-संतों ने शिप्रा में किया अमृत स्नान
- 45 देशों के श्रद्धालु आए हुए हैं सिंहस्थ में
- 10 लाख श्रद्धालु लगभग महाकाल के दर्शन करने पहुंचे

लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई अक्षय आस्था की डुबकी

बिगड़ते मौसम के बावजूद सिंहस्थ में अक्षय तृतीया के मौके पर सोमवार को दूसरे शाही स्नान में लाखों श्रद्धालुओं ने मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में आस्था और विश्वास की लगाईं डुबकियां। सबसे पहले श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद जी के नेतृत्व में हजारों नागा साधुओं ने स्नान किया। तड़के चार बजे नागा साधुओं का दल तेजी से शिप्रा घाट पर आया और हर-हर महादेव, जय महाकाल, शिप्रा मैया की जय हो आदि जय उद् घोष के साथ डुबकी लगाई। इसके बाद अन्य अखाड़ों ने भी अपने-अपने साधुओं के साथ स्नान का पुण्य अर्जित किया। अखाड़ों के स्नान के बाद ही आम श्रद्धालु इन घाटों पर स्नान के लिए पहुंचना शुरू हो गए थे।

40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवा, 17 मिमी बारिश, पंडालों की चादरें उड़ीं

सोमवार को बारिश व तेज हवा चलने से रणजीत हनुमान क्षेत्र एवं दत्त अखाड़ा क्षेत्र में कुछ पंडालों की टीन की चादरें उड़ गईं। भूखी माता क्षेत्र में होर्डिंग उड़कर महिला श्रद्धालु पर गिर गया। वहीं मंगलनाथ क्षेत्र में करंट लगने से एक युवक घायल हुआ है। इन हादसों में करीब 10 लोग घायल हुए हैं।

Source - Dainik Bhaskar
Tweet from PMO :-

1100 is a 24/7 helpline for all info, questions, feedback that may arise through the . Almost 75,000 calls have been taken so far. 


If you’re at , don’t forget to travel on the e-rickshaw, another effort towards clean & green Simhasth.



उज्जैन. बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल शुक्रवार को उत्तम स्वामी के शिविर में नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दे रहीं थी। कृष्ण-राधा की रासलीला पर आधारित इस नृत्य नाटिका में प्रेम के आध्यात्मिक रूप को दर्शाया गया।
हरे रंग की घाघरा-चोली, बालों में वेणी, हाथों में मटकी लिए हेमा मालिनी राधिका के सुंदर स्वरूप का जीवंत उदाहरण लग रही थीं। नृत्य के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुकी हेमा के लिए नृत्य साधना है। यदि कोई इस साधना का अनादर करता है तो वे व्यथित हो जाती हैं।

उनका मानना है कि नृत्य को देखना भी एक अध्यात्मिक अनुभव है। इसके लिए दर्शक को नृत्य में डूबना होता है। हेमा मालिनी द्वारा प्रस्तुत की गईं इस नृत्य नाटिका में राधा-कृष्ण के प्रथम मिलन से लेकर उनके प्रेम, बिछोह, कृष्ण द्वारा कंस का वध आदि का खूबसूरत चित्रण किया गया। संगीत रवींद्र जैन का व आवाज कविता कृष्णमूर्ति और सुरेश वाडकर की है।

Source :- Patrika 


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नरेन्द्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन ने आम श्रद्धालुओं की तरह भीड़ में महाकाल मंदिर की लाइन में लगकर दर्शन किए।
नरेन्द्र मोदी की पत्नी जसोदाबेन शनिवार सुबह महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन पहुंची। उनके साथ उनके परिवार के 4-5 लोग भी थे। गौरतलब है कि मोदी भी 14 मई को उज्जैन के निनौरा में होने वाले वैचारिक महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए पहुँच रहे हैं।
महाकाल के ध्यान में रमी जशोदाबेन
आम श्रद्धालुओं को जब इस बात का पता चला कि उनके साथ नरेन्द्र मोदी की पत्नी भी महाकाल में भगवान के दर्शनों के लिए लाइन में लगी हैं, तो वे लोगों में कौतुहल का विषय बन गई। लोग उनकी एक झलक पाने को उत्सुक नजर आए। जशोदाबेन इस सबसे बेपरवाह महाकाल की भक्ति में डूबी हुई नजर आ रही थी।
धार्मिक यात्रा पर निकली हैं जशोदाबेन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन ने शुक्रवार को शिरडी स्थित प्रसिद्ध साईबाबा मंदिर में दर्शन किए। श्री साईबाबा संस्थान न्याय के कार्यकारी अधिकारी बाजीराव शिंदे ने जशोदाबेन को शॉल और साईबाबा की प्रतिमा भेंट कर उन्हें सम्मनित किया। शिरडी से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित त्रयंबकेश्वर मंदिर में जाकर जशोदाबेन ने वहां पर भगवान शिव के भी दर्शन किए थे।

Source :- Patrika 


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शाही स्नान में यात्रियों से फजीहत के बाद शासन ने लिया फैसला, मंदिर और घाट किनारे तक सकेंगे वाहन, यात्री मंदिर और घाट किनारे तक आसानी से पहुंच सके। यही नहीं पूरे मेला क्षेत्र में लागू किए गए विभिन्न पास भी अब खत्म कर दिए हैं।

शाही स्नान पर हुई अव्यवस्था और श्रद्धालुओं की फजीहत से बैकफुट पर आई सरकार ने अब राहत भरे कदम उठाए हैं। मेला क्षेत्र में अब श्रद्धालुओं को पहुंचाने के लिए 400 नि:शुल्क बसें चलाने का फैसला लिया गया है। वहीं मेला क्षेत्र के भीतर नए पार्किंग स्थल बनाए जा रहे हैं, ताकि यात्री मंदिर और घाट किनारे तक आसानी से पहुंच सके। यही नहीं पूरे मेला क्षेत्र में लागू किए गए विभिन्न पास भी अब खत्म कर दिए हैं।
सिंहस्थ में यात्रियों की सुविधाओं को लेकर यह घोषणा बुधवार को प्रभारी मंत्री भूपेंद्रसिंह ने की। मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा, यात्रियों को अब मेला क्षेत्र में परेशानी नहीं नहीं होगी। मेला क्षेत्र व शहर में वाहनों की आवाजाही पर रोक नहीं लगाई जाएगी। मेला क्षेत्र के भीतर पार्किंग बनाए जा रहे हैं। इससे यात्री आसानी से घाट व मंदिर किनारे पहुंच जाएंगे। मेला क्षेत्र में आने के लिए 400 नि:शुल्क बसें चलाई जाएंगी। एक-दो दिन में बसों का रूट प्लान भी जारी कर दिया जाएगा। प्रभारी मंत्री के अनुसार मेला क्षेत्र पास मुक्त किया है। उन्होंने मेले में खाद्यान्न का कोटा बढ़ाने की बात भी कही। मंत्री ने दावा किया कि 9 मई के शाही स्नान में अब तक के सबसे ज्यादा श्रद्धालु पहुुंचेंगे।
15 मिनट में महाकाल के दर्शन
महाकाल मंदिर के दर्शन को लेकर प्रभारी मंत्री ने बताया कि हर एक घंटे 7 से 8 हजार श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए जा रहे हैं। श्रद्धालुओं को 15 मिनट में दर्शन हो रहे हैं। महाकाल में वीआईपी सिस्टम खत्म कर दिया गया है।
महाकाल में हुई चूक : भगवान महाकाल के लाइव दर्शन का ठेका एक निजी कंपनी को देने को प्रभारी मंत्री ने एक बड़ी चूक बताया है। उन्होंने कहा कि मेरे आने से पहले ही ठेका दे दिया था। ऐसा नहीं होना चाहिए था। बता दें कि निजी कंपनी ही महाकाल में दर्शन, आरती सहित अन्य कार्यक्रम का लाइव प्रसारण कर रही है। वास्तव में एक महीने के लिए इसमें छूट दिए जाने की जरूरत थी।
24 घंटे में लगेगी किराया सूची
यात्रियों के साथ ऑटो रिक्शा व मैजिक चालकों की ओर से मनमाने किराया वसूलने पर रोक लगेगी। प्रभारी मंत्री के अनुसार 24 घंटे में किराया सूची चस्पा होगी और ड्राइवर को ड्रेस पहनना अनिवार्य होगा।
शिक्षक संभालेंगे हेल्प डेस्क
यात्रियों को मेले की सही जानकारी देने के लिए बनाई हेल्प डेस्क की जिम्मेदारी अब शिक्षकों को दी गई। डीईओ को नोडल अधिकारी बनाया गया है। अब तक यह काम कॉलेज के विद्यार्थी देख रहे थे।
मंत्री के पास नहीं इन सवालों के जवाब
मेले में साफ पानी नहीं मिल रहा। सीवरेज चोक की समस्या।
साधु-संत नाराज है। सुनवाई नहीं।
पुलिस यात्रियों से हुज्जत कर रही।
पहले शाही स्नान में फैली अव्यवस्था का जिम्मेदार कौन है।
उपमीडिया सेंटर में नेट बंद-प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल के जवाब में जनसंपर्क की अपर संचालक मंगला मिश्रा ने कहा कि उपमीडिया सेंटर्स में नेट चालू है। पत्रिका ने हकीकत जानी तो यह सही नहीं निकली। रणजीत हनुमान उपमीडिया सेंटर पर तैनातकर्मी ने बताया, कम्प्यूटर चालू है, लेकिन इंटरनेट नहीं है।

Source - Patrika 
आद्य श्रीवल्लभाचार्य नगर , विशाल नगर शोभायात्रा की झलकियां उज्जैन सिंहस्थ २०१६ 







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ये हैं सिंहस्थ के नजारे..मानो जमीं पर उतर आए हों सितारे

उज्जैन. दिन हो या रात सिंहस्थ के अपने ही रंग और अपने ही ढंग हैं। भव्य पंडालों की चकाचौंध रोशनी दूर से सितारों की तरह नजर आती है। दिन में हवा के तेज झौके आंधी के साथ धूल उड़ाते हैं, वहीं रात में सिंहस्थ शीतलता का अहसास दिलाता है।
धर्म और आस्था का महाकुंभ पतित पावनी शिप्रा के किनारे बस गया है। रोज यहां हजारों लोग साधु-संतों के दर्शन और आशीर्वाद लेने उमड़ रहे हैं। चिलचिलाती धूप में आस्थावानों के कदम दिनभर चलायमान रहते हैं। रात में शहर के लोग परिवारों के साथ अखाड़ों की ओर घूमने निकलते हैं। शिप्रा की कोमल लहरों पर पड़ती टिमटिमाती रोशनी मन को सुखद अहसास दिलाती है।
सोर्स - पत्रिका

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सिंहस्थ में उज्जैन प्रवास पर सीएम श्री शिवराज सिंह चौहान अन्य साधु-संतों के साथ भव्य क्षिप्रा महाआरती में शामिल हुए।महामण्डलेश्वर श्री अवधेशानंद गिरि,मुरारी बापू की उपस्थिति में श्री शिवराज सिंह चौहान ने क्षिप्रा आरती के पूर्व श्रृद्धालुओं को सम्बोधित किया। "सिंहस्थ के बाद भी क्षिप्रा के सदैव छल-छल,कल-कल बहती रहने व नदी जल को हमेशा स्वच्छ बनाये रखने हेतु सभी प्रबंध किये जायेंगे।":

सीएम श्री "मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एक अच्छे प्रशासक ही नही उपासक भी है।":-- महामण्डलेश्वर श्री अवधेशानंद गिरिजी


Source - Simhastha (Twitter)



उज्जैन. मंगलनाथ जोन में सांदीपनि आश्रम के सामने 60 फीट अस्थायी रोड बनाया गया है। यहां अनूठे संत आए हैं। वे जन्म से देख नहीं सकते लेकिन मन की आंखों से सिंहस्थ देख रहे हैं। देश की एकमात्र विकलांग विवि के आजीवन कुलाधिपति हैं। पद्म विभूषण से सम्मानित हैं।
श्रीमद् भागवत कथा, रामायण व महाभारत सहित कई ग्रंथ कंठस्थ हैं। ये हैं जगदगुरु स्वामी रामानंदाचार्य राघवीयो रामभद्राचार्यजी। वे युवाओं के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। जेएनयू में पिछले दिनों हुए घटनाक्रम को लेकर दु:खी भी हैं। उनका कहना है कन्हैया कुमार उनकी नजर में कंस कुमार है। उन्होंने कन्हैया को दिए जा रहे राजनीतिक प्रश्रय पर भी रोष जताया। हालांकि वे केंद्र सरकार को दोष नहीं देना चाहते।
कहते हैं दोष तो शिक्षा व्यवस्था में है। जब तक मैकाले की व्यवस्था से भारतीय शिक्षा मुक्त नहीं होगी, तब तक युवाओं को सही मार्ग दिखाना आसान नहीं होगा।

शिक्षा मंत्री को बताया पुत्रवधु :केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी को महाराज पुत्रवधु मानते हैं। उनका कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव किए जा रहे हैं। स्मृति अच्छा काम कर रही हैं लेकिन उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा है। ये संकल्प की शक्ति व राघव कृ़पा: जो काम दोनों नेत्र वाले नहीं कर सकते, वे कैसे सहज रूप से कर रहे हैं। इसके जवाब में महाराज कहते हैं ये संकल्प शक्ति व राघव कृपा है जो ग्रंथों को कंठस्थ करने के साथ शिक्षा का प्रचार कर रहा हूं।
विकलांगों का स्वाभिमान लौटाना लक्ष्य :चित्रकूट में देश की एकमात्र विकलांग विवि के कुलाधिपति रामभद्राचार्यजी का कहना है कि देश के हर विकलांग का स्वाभिमान लाैटाना ही लक्ष्य है। वे हर विकलांग को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। एक झलकके लिए घंटों इंतजार : पंडाल में आए श्रद्धालु उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते हैं। रोज दोपहर में हरि के गुणगान हो रहे हैं। सुबह से लेकर रात तक कैंप में विराजे ठाकुरजी की सेवा के बाद ही प्रसादी पाते हैं।


Source - Dainik Bhaskar

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Police control room established in Mela area where Sants & pilgrims can call 24*7@ 0734-2525253 for any assistance.

Source - Simhastha (Twitter)
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अखाड़े में आचार्य के बाद उपमुख्यमंत्री जैसी होती है महामंडलेश्वर की भूमिका
उज्जैन. सिंहस्थ में धार्मिक गतिविधियों के साथ ही साधु-संतों के अखाड़ों की कैबिनेट भी बनने लगी है। शनिवार को दो महात्माओं को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। अखाड़े में सबसे बड़ा पद आचार्य का होता है, उनके बाद महामंडलेश्वर की भूमिका उपमुख्यमंत्री जैसी होती है। इस सिंहस्थ में करीब दो दर्जन महामंडलेश्वर बनाए जा सकते हैं, जो विभिन्न अखाड़ों व पीठों की व्यवस्था देखेंगे।
पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े में स्वामी अनंतदेवगिरि महाराज का पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। उजडख़ेड़ा रोड स्थित वामदेव स्मृति शिविर में सुबह 7.30 बजे गणपति स्थापना एवं पूजन के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ। अखाड़े के आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंदगिरि महाराज ने पट्टाभिषेक कर स्वामी को महामण्डलेश्वर पद्वी प्रदान की। इसके बाद महामंडलेश्वर स्वामी अनंतदेवगिरि ने अखाड़े को राशि भेंट कर समष्टि का आयोजन किया। उन्होंने कहा मैं अब विरक्त हूं। आजीवन अखाड़े की सेवा करता रहूंगा। जूना के मुख्य सरंक्षक हरिगिरि, श्रीमहंत प्रेमगिरि, श्रीमहंत सुंदरपुरी, श्रीमहंत परशुरामगिरि, थानापति रामेश्वरगिरि उपस्थित थे। श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े से स्वामी हंसराज उदासी को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। स्वामी हंसराज उदासी महाराज भीलवाड़े वाले सिंधी समाज के पहले महामंडलेश्वर बने हैं। बड़ा उदासीन अखाड़े में स्वामी हंसराज उदासी महाराज के पट्टाभिषेक कर महामंडलेश्वर की उपाधि दी।

13 अखाड़े के पदाधिकारी मौजूद थे
महामंडलेश्वर स्वामी भीलवाड़ा के हरिसेवा धाम आश्रम से हैं। उनके ओर से वेद विद्यालय, बीएड कॉलेज सहित होनहार विद्यार्थियों को कोटा में मुफ्त शिक्षा दिलाने सहित अन्य प्रकल्प संचालित करते हैं। कार्यक्रम में 13 अखाड़ों के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे।
यह है महामंडलेश्वर का इतिहास
अखाड़ों में सम्मिलित होने वाले नागा संन्सासियों को संन्यास दीक्षा प्रदान करने का कार्य परमहंस कोटि विद्वान संन्यासी द्वारा किया जाता था। पूर्व में अखाड़ों में संस्कार दीक्षा का काम शंकराचार्य के हाथों में था। लेकिन 1776 में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पीठ से चले गए। इसके बाद करीब 165 वर्ष तक कोई भी शंकराचार्य नहीं रहे। इसे देख अखाड़ों ने मंडली में घूमने वाले विद्वान परमहंस संन्यासी द्वारा दीक्षा कार्य प्रारंभ किया। यही विद्वान नाना स्थानों पर भ्रमण कर धर्म का प्रचार प्रसार करते थे। इन्हें मण्डलेश्वरी कहा जाता था। कालंतर में मण्डलेश्वरी से मण्डलेश्वर शब्द का उच्चारण होने लगा और अखाड़ों के दीक्षा कार्य से जुड़े होने से उन्हें आचार्य महामण्डलेश्वर कहा जाने लगा। श्री पंच अग्नि अखाड़े के श्रीमहंत गोविंदानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि इस प्रकार अखाड़ों में एक आचार्य महामण्डलेश्वर व कई महामण्डलेश्वरों का महामण्डलेश्वर के पद पर पट्टाभिषेक किया जाने लगा।
ऐसे बनते हैं महामंडलेश्वर
शैव संप्रदाय के सात अखाड़ों में महामण्डलेश्वर की पद्वी उसी संन्यासी को दी जाती है जो विद्वान हो। महामण्डलेश्वर बनने के लिए अखाड़ा के प्रमुख पदाधिकारी विशेष मुहूर्त तय करते है। इसके बाद उस दिन सुबह गणेश पूजन से कार्यक्रम की शुरुआत होती है। इसके बाद अखाड़े के पुरोहितगण वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संन्यासी की शुद्धि करवाते है। शुद्धि पूजन के बाद अखाड़े के अचार्य महामण्डलेश्वर अपने हाथों से महामण्डलेश्वर का पट्टाभिषेक कर घोषणा करते है। यह प्रक्रिया 13 अखाड़ों के प्रमुख पदाधिकारी के संन्यासी को चादर पहनाकर अपनी सहमति देते है। इसके बाद महामण्डलेश्वर अपने आचार्य को गुरु दक्षिणा भेंट कर अखाड़े में सहयोग रूपी राशि भेंट करता है। कार्यक्रम में आए सभी अतिथिगणों के लिए उक्त महाण्डलेश्वर की ओर से समष्टि का आयोजन किया जाता है।
इसलिए बनाया जाता है
सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए लंबी तपस्या के बाद अखाड़ा संन्यासी को महामण्डलेश्वर की पद्वी देता है। इस पद्वी पर आने के बाद उक्त संन्यासी को अपने ज्ञान को देशभर में फैलाने की जिम्मेदारी दी जाती है। अखाड़े के संन्यासी चेले बनाने से लेकर देशविदेश में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना ही उद्देश्य होता है।
आचार्य महामण्डलेश्वर सिर्फ देते है दीक्षा
शैव संप्रदाय के सात अखाड़ों में संन्यास दीक्षा देने के लिए आचार्य महामण्डलेश्वर बनाया जाता है। उज्जैन, हरिद्वार, इलाहाबाद और नासिक में होने वाले सिंहस्थ महापर्व के समय संन्यासियों को दीक्षा देते है। जिसमें कई नियमों का पालन कर संन्यासी खुद अपनी सात पीढ़ी का पिंड दान कर संन्यासी दीक्षा लेते है।

Source - patrika 

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 उज्जैन. सिंहस्थ मेला क्षेत्र में महामंडलेश्वर अवधेशानंदजी के शिविर में शनिवार से संत मुरारी बापू की रामकथा शुरू हुई। शाम 4 बजे शुरू हुई कथा में 15000 श्रोता मौजूद थे।

युवाओं के लिए: दृढ़ संकल्प और दृढ़ भरोसा रखें। गुरु साध्य है। गुरु लक्ष्य है, आखिरी परम तत्व है मंजिल। मंजिल को पाएं और जीवन का उद्धार करें। एक अच्छा संकल्प लें और उसे पूरा करें। 


महिलाओं के लिए: जीवन में सुख-दु:ख दो पहलू हैं। दु:ख में विचलित नहीं हो। अच्छे कर्म करें। एक-दूसरे की मदद करें। धर्म भी कर्म को प्रधानता देता है। 

पुरुषों के लिए: धर्म जोड़ना सिखाता है। कोई भी धर्म तोड़ना नहीं सिखाता। सभी धर्म ग्रंथों में उल्लेख है कि दूसरों के कल्याण के लिए कार्य करें और सबके हितों की रक्षा करें।


Source - Dainik Bhaskar

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10 किन्नर बनेंगे महामंडलेश्वर, महागुरु लक्ष्मीनारायण बिग बॉस से लोकप्रिय


उज्जैन/इंदौर. कोई मानें या ना मानें, किन्नरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। अलग धर्म सत्ता चलेगी, हमारे अपने महामंडलेश्वर होंगे। धर्म का प्रचार अब किन्नर करेंगे। यह कहना है किन्नरों के महागुरु लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी का। उन्हें 2 मई को अपना आचार्य महामंडलेश्वर बना दिया जाएगा।
इसी के साथ 10 महामंडलेश्वर भी बनाए जाएंगे। किन्नरों ने अपने शिविर में इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। देशभर से पांच हजार से ज्यादा किन्नर शामिल होंगे। भास्कर से चर्चा करते हुए किन्नर गुरु त्रिपाठी ने कहा कि तथाकथित साधु-संत धर्म की लुटिया डुबोने में लगे हैं। धर्म को व्यवसाय बना लिया है। हम ऐसा नहीं होने देंगे। अपने धर्म में गिरावट नहीं आने देंगे। सिंहस्थ में हम इसीलिए आए हैं ताकि लोगों से मिलें, उनके विचार जानें और देखें कि धर्म के लिए क्या किया जा सकता है। अब हम इस लोग नतीजे पर पहुंचे हैं कि हमें अपने महामंडलेश्वर भी बनाने होंगे।
उनके पास कई फिल्मों के ऑफर हैं
किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजयदास का दावा है कि महामंडलेश्वर की ताजपोशी के दिन 13 में से 10 अखाड़ों के संत मौजूद रहेंगे। उन्होंने बताया कि हम उज्जैन को हमारी अपना मुख्यालय बनाएंगे। किन्नरों के महागुरु लक्ष्मीनारायण बिग बॉस से लोकप्रिय हुए लक्ष्मीनारायण ने बताया कि उनके पास कई फिल्मों के ऑफर हैं।
सिर्फ 13 अखाड़े को ही मान्यता
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्रगिरि का कहना है मीडिया में सुर्खियां पाने के लिए किन्नरों का दल कुछ न कुछ करता रहता है। यह सभी जानते हैं कि सिंहस्थ में 13 अखाड़ों की परिषद ही काम करती है। इसके अलावा किसी अन्य को कोई मान्यता ही नहीं है। हम अपने धर्म का बहुत अच्छी तरह से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। धर्म की रक्षा के लिए हम साधु-संत आगे आते हैं। किन्नरों को हमारे परिषद ने कोई मान्यता नहीं दी है।

Source - Dainik Bhaskar


सिंहस्थ में कोई वीआईपी नहीं है। धर्म के महामेले और जन आस्था को सर्वोच्च रख मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अनूठी पहल की शुरुआत स्वयं से की है।


उज्जैन. सिंहस्थ में कोई वीआईपी नहीं है। धर्म के महामेले और जन आस्था को सर्वोच्च रख मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अनूठी पहल की शुरुआत स्वयं से की है। उन्होंने बिना किसी वीआईपी सुविधा के पत्नी साधनासिंह के साथ एक आम श्रद्धालु की तरह सिंहस्थ को जीया।
बिना पूर्व घोषित कार्यक्रम के शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सप्त्नीक शाम 6.30 बजे हेलीकॉप्टर से ग्राम निनौरा पहुंचे। वहां प्रभारी मंत्री भूपेंद्रसिंह व अधिकारियों से चर्चा के बाद उन्होंने फॉलो और बिना लाल बत्ती वाहन के ही सिंहस्थ क्षेत्र में भ्रमण किया। इस दौरान उनके साथ अधिकारी-नेताओं का काफिला नहीं था। सहयोग के लिए सिर्फ सीएम पीएस विवेक अग्रवाल व इक्का-दुक्का अधिकारी ही थे। भीड़ से परे चौहान ने गऊघाट पर ही अमृृतमयी शिप्रा में डुबकी लगाकर शाही स्नान किया।
यहां सब आम है
मुख्यमंत्री चौहान ने पत्रिका से चर्चा में कहा, मैंने प्रशासन को निर्देश दिए हैं, सिंहस्थ में कोई वीआईपी नहीं है। ना बत्ती ना सायरन, यहां के राजा महाकाल हैं, सब उनकी प्रजा है। मैं भी आम श्रद्धालु की तरह ही आया हूं। दिनभर की खबर लेकर यहां आया हूं किसी को कोई व्यवधान नहीं हुआ। शाही स्नान में अपेक्षा से कम भीड़ पर उन्होंने कहा शाही, पर्व व नित्य स्नान मिलाकर 5 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
सीएम की पहल और मायने:वीआईपी ट्रीटमेंट से दूर
मायने : सिंहस्थ में प्रोटॉकाल, फॉलो आदि में सरकारी मशीनरी लगती है। सिंहस्थ में बड़ी संख्या में वीआईपी आएंगे। ऐसे में यहां आने वाले सभी वीआईपी एक महीने इन सुविधा से दूर रहे हैं तो उक्त मशीनरी का सिंहस्थ व्यवस्था में अतिरिक्त उपयोग हो सकेगा।
गऊघाट पर स्नान
मायने : आम हो या खास सिंहस्थ में हर कोई रामघाट पर स्नान करना चाहता है। खासकर वीआईपी। इससे एक ही क्षेत्र में दबाव बढ़ता व व्यवस्था प्रभावित होती है। सीएम ने गऊघाट पर स्नान कर दर्शाया कि पूरी शिप्रा अमृतमयी है और हर घाट का महत्व रामघाट समान है।
काफिले से दूरी
मायने : अधिकारी और नेताओं के काफिले के बिना वह सिंहस्थ में घूमे। उन्होंने संदेश दिया कि बड़े काफिले का अनावश्यक प्रभाव दिखाना व्यर्थ है। इससे दूसरों के कार्य प्रभावित हो सकते हैं।



खुले आसमान से बरस रही आग में बालू रेत के टीले पर बैठकर ये साधु अपना हठ योग दिखा रहे हैं।

उज्जैन. सिंहस्थ में आए साधु-संत कठिन साधना में लीन नजर आ रहे हैं। कोई कंडे की धूनी जलाकर उसके बीच बैठा है, कोई 24 घंटे झूला झूल रहा है, तो कोई तपती धूप और जलती रेत पर हठयोग करने पर आमादा है।
सामान्य लोग जहां दिनभर एसी, कूलर और पंखों के पास से हटना भी नहीं चाहते, वहीं खुले आसमान से बरस रही आग में बालू रेत के टीले पर बैठकर ये साधु अपना हठ योग दिखा रहे हैं। ये हैं अवधूत स्वामी राधिकानंद उदासीन जो सूर्य की उपासना करते हुए दिखाई दे रहे हैं। ये सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक रेत के टीले पर ही बैठते हैं। जलती धूप में पूरे सिंहस्थ में ऐसा करेंगे। - Source - Patrika 

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Ariel view of Ramghat, most sacred bank of river Kshipra at Ujjain during - Source All India Radio News






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उज्जैन सिंहस्थ के पहले शाही स्नान पर श्री महाकाल मंदिर में भस्मारती में ५००० दर्शनार्थियों ने चलायमान दर्शन किए।


रात १२बजे की तस्वीरें 


मध्य प्रदेश के उज्जैन में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला सिंहस्थ महापर्व शुरू हो चुका है। गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात 12 बजते ही श्रद्धालुओं ने क्षिप्रा में सिहंस्थ 2016 की पहली डुबकी लगाई। प्रशासन ने रामघाट और दत्त अखाड़ा घाट को छोड़कर अन्य घाटों पर भक्तों के स्नान की व्यवस्था की है। सुबह 6 बजे से साधु-संत प्रवेशाई के रूप में रामघाट और दत्त अखाड़ा घाट आएंगे और शाही स्नान करेंगे। क्या है अखाड़ों के स्नान का समय, कितने श्रद्धालु पहुंचे हैं उज्जैन...

पहले शाही स्नान में एक भी शंकराचार्य नहीं पहुंचे

- सदी के दूसरे सबसे बड़े मेले सिंहस्थ महापर्व में देश के चारों प्रमुख पीठों के शंकराचार्यों में एक भी पहले शाही स्नान में शामिल नहीं हो रहे हैं।
- इसका मुख्य कारण शंकराचार्यों का सिंहस्थ में देरी से आगमन होना है। शंकराचार्यों का आगमन मई में होगा।

4 हजार पंडालों में संतों का डेरा

- मेले के लिए 3061 हेक्टेयर में 4 हजार से ज्यादा पंडालों में साधु-संतों ने डेरा डाल दिया है।
- निवर्तमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंदजी, जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि, महामंडलेश्वर पायलट बाबा, परमहंस नित्यानंद, महामंडलेश्वर दाती महाराज अौर अन्य प्रमुख संत भी आ चुके हैं।
- 22 अप्रैल को पहले शाही स्नान में ये सभी अपने अखाड़ों के साथ क्षिप्रा में डुबकी लगाएंगे।
- सभी अखाड़ों को स्नान के लिए ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट मिलेंगे।

ये रहेगा अखाड़ों के स्नान का समय

- 13 अखाड़ों के साधु-संत शुक्रवार सुबह से शाही शान करेंगे। 2 घाटों पर संत जबकि 35 घाट श्रद्धालुओं के स्नान के लिए हैं।
- गुरुवार रात तक करीब 10 लाख श्रद्धालु उज्जैन पहुंच चुके हैं, दोपहर तक 35 लाख के पहुंचने का अनुमान है।
- जूना अखाड़ा- दत्त अखाड़ा से जुलूस सुबह 6 बजे घाट पर पहुंचेगा, 6.30 बजे वापसी।
- आह्वान और अग्नि- सुबह 5.20 बजे सदावल छावनी से 6 बजे घाट पर पहुंचेगा, 6.30 बजे वापसी। 
- महानिर्वाणी और अटल- सुबह 6.20 बजे छावनी से रवानगी, 6.50 बजे दत्त अखाड़ा घाट से 7.20 बजे वापसी।
- निरंजनी और आनंद- सुबह 7.20 बजे रवानगी, 7.50 बजे दत्त अखाड़ा पर स्नान, 8.20 पर वापसी।
- वैष्णव अखाड़े- रामघाट पर वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणि अखाड़ों निर्वाणी, निर्मोही व दिगंबर का स्नान सुबह 8 बजे से 9.50 बजे तक।
- बड़ा उदासीन- 10.50 बजे अखाड़ा से रवाना, 11.30 बजे रामघाट पर स्नान, 12 बजे वापसी।
- नया उदासीन- सुबह 10.45 बजे बड़नगर रोड छावनी से रवाना होकर 11.30 बजे रामघाट पर स्नान, 12 बजे घाट से वापसी।
- निर्मल अखाड़ा- बड़नगर रोड छावनी से दोपहर 12.05 बजे रवाना होकर 12.30 बजे रामघाट पहुंचेगा तथा स्नान कर दोपहर 1 बजे घाट से रवाना होकर छावनी आएगा।

-Source :- Dainik Bhaskar

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